अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी।
ब्रिटिश भारत में रियासतें
ब्रिटिश भारत में रियासतें ब्रिटिश राज के दौरान अविभाजित भारत में स्वायत्त राज्य थे। इन्हें आम
राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया)
प्रो॰ राजेन्द्र सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक थे, जिन्हें सर्वसाधारण जन से लेकर
अनुशीलन समिति
अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त
स्वामी रामतीर्थ
स्वामी रामतीर्थ वेदान्त दर्शन के अनुयायी भारतीय संन्यासी थे
गेंदालाल दीक्षित
पं॰ गेंदालाल दीक्षित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा, महान क्रान्तिकारी व उत्कट राष्ट्रभक्त
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सोपारा
सोपारा महाराष्ट्र राज्य के पालघर जिले में स्थित एक प्राचीन स्थान था जो वर्तमान नालासोपारा नामक
वेद प्रताप वैदिक
डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी एवं भारतीय
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आनन्‍द कुमारस्‍वामी श्री लंका के सुविख्यात कलामर्मज्ञ एवं भारत-चिन्तक तमिल थे
बामा (लेखिका)
बामा एक तमिल दलित नारीवादी, शिक्षिका और उपन्यासकार हैं। उनका आत्मकथात्मक उपन्यास कारुक्कु (1992) तमिलनाडु