केरल की चित्रकला
प्राचीन काल में जब से केरल की पर्वतीय गुफाओं में मनुष्य निवास करने लगे थे तभी से चित्रकला की परंपरा आरंभ हुई होगी। प्राचीन गुफाओं के चित्रांकन इसका प्रमाण हैं। इस प्रकार के चित्र जिन गुफाओं में उपलब्ध हैं वे हैं वयनाड की एडक्कल गुफा, इडुक्कि में मरयूर की एष़ुत्ताले गुफा, तिरुवनन्तपुरम के पेरुंकडविलयिल की पाण्डवन पारा गुफा आदि। कोल्लम जिले के तेन्मला की चन्तरुणिवन गुफा में भी गुफाचित्र मिलते हैं। इन चित्रों में प्रधान हैं - पत्थर की दीवारों पर
उत्कीर्ण किए गुफा चित्र (Engravings) और शिला चित्र ।
- स्तम्भोपरिरचना
- स्तम्भोपरिरचना स्तंभ के ऊपर क्षैतिज बनी एक ऊपरिरचना होती है और स्तंभशीर्षों पर स्थित होती है
- कृष्णनाट्टम
- 17वीं शताब्दी के मानवेदन नामक सामूतिरि राजा द्वारा प्रस्तुत दृश्यकला कृष्णनाट्टम कहलाती है। मानवेदन
- शिरडी (लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र)
- शिरडी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है
- छत्तीसगढ़ में शक्ति पीठ
- छत्तीसगढ़ में अनादि काल से शिवोपासना के साथ साथ देवी उपासना भी प्रचलित थी। शक्ति स्वरूपा मां भवानी
- सरगुजा के दर्शनीय स्थल
- राष्ट्रीय जीन बैंक, नई दिल्ली
- राष्ट्रीय जीन बैंक केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ द्वारा नई दिल्ली में १९९६ से
- सरगुजा के पुरातात्विक स्थल
- आधुनिक केरल
- केरल का आधुनिक इतिहास 18 वीं शती से शुरू होता है। ब्रिटिश उपनिवेशीय शासन के प्रारम्भ से लेकर आज तक
- गढ़वाल का पहनावा
- गढ़वाल के निवासी विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहनते हैं। निम्न परिवर्ती इनके वस्त्रों के चयन को
- बामा (लेखिका)
- बामा एक तमिल दलित नारीवादी, शिक्षिका और उपन्यासकार हैं। उनका आत्मकथात्मक उपन्यास कारुक्कु (1992) तमिलनाडु