भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान भारत का एक राष्ट्रीय पेशेवर लेखा निकाय है। यह 1 जुलाई 1949 को सनदी लेखाकार अधिनियम 1949 के अंतर्गत निगमित निकाय के रूप में स्थापित किया गया था| अपने अस्तित्व के लगभग छह दशकों के दौरान, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान न केवल देश में एक प्रमुख लेखा निकाय के रूप में मान्यता हासिल की है लेकिन यह विश्व स्तर पर भी शिक्षा, व्यावसायिक विकास, उच्च लेखांकन, लेखा परीक्षा और नैतिक मानकों के रखरखाव के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। ICAI सदस्यता के मामले में American Institute of Certified Public Accountants के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी पेशेवर लेखा संस्थान है। ICAI कंपनियों पर लागु होने वाले लेखा मानको की सिफारिश लेखांकन मानकों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NACAS) से करती है और अन्य संगठनों पर लागु होने वाले लेखा मानकों का निर्धारण करती है।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग
लेखांकन मानकों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NACAS)
लेखांकन मानकों की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NACAS) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 210A के तहत भारत सरकार द्वारा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड
भारत में प्रत्यक्ष कर से संबंधित सभी मामले 1 जनवरी 1964 से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को
बागान श्रम अधिनियम, 1951
बागान श्रम अधिनियम, 1951 बागान श्रमिकों के कल्‍याण की व्‍यवस्‍था करता है और बागानों में कार्य परिस्थितियों
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भारतीय वन अधिनियम, 1927 मोटे तौर पर पिछले भारतीय वन अधिनियम के आधार पर तैयार किया गया था जो कि
सनदी लेखाकार अधिनियम 1949
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सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006
सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम विकास, अधिनियम 2006 को सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम क्षेत्र की तथा इनके
बामा (लेखिका)
बामा एक तमिल दलित नारीवादी, शिक्षिका और उपन्यासकार हैं। उनका आत्मकथात्मक उपन्यास कारुक्कु (1992) तमिलनाडु