राजनीतिक दर्शन

राजनीतिक दर्शनशास्त्र या राजनीतिक सिद्धांत ,सरकार का दार्शनिक अध्ययन है ,जो सार्वजनिक(सरकारी) कर्तुओं और संस्थानों की प्रकृति, दायरे और वैधता तथा उनके बीच संबंधों के बारे में प्रश्नों को संबोधित करता है। यह मूल्यमिमांसा की वह शाखा है जो मानव समाजिक संस्थापनाओं, समाज में रह रहे व्यक्ति की प्रकृति,उसका समाज के साथ सम्बन्ध,तथा उस समाज को सर्वोत्तम रुप से कैसे व्यवस्थित करें,उसका अध्य्यन करती है। इसके अन्तर्गत राजनीति, स्वतंत्रता, न्याय, सम्पत्ति, अधिकार, कानून(सन्नियम) तथा प्रधिकरण द्वारा कानूनों का प्रवर्तन,आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है: ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, सरकार को 'वैध' क्या बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है, इत्यादि।
सांस्कृतिक प्राधान्य
मार्क्सवादी दर्शन में सांस्कृतिक प्राधान्य, सांस्कृतिक आधिपत्य या सांस्कृतिक वर्चस्व से आशय
स्टोइक दर्शन
स्टोइकवाद,निस्पृहतावाद, जितेन्द्रियता या स्टोइसिज़म् हेलेनीय काल का दर्शन है जो कि 300 ईसा पूर्व
समकालीन दर्शन
उन्नीसवीं शती के अन्त से लेकर वर्तमान समय तक के दर्शन को समकालीन दर्शन कहते हैं। समकालीन दर्शन, 20
नव अफलातूनवाद
नवअफलातूनवाद या नव-प्लेटोवाद (अंग्रेज़ी-Neo-Platonism), प्राचीन यूनानी दर्शन के हेलेनी काल का अंतिम संप्रदाय
घटनाविज्ञान
व्यक्‍तिनिष्‍ठ अनुभवों और चेतना के संरचनाओं का दार्शनिक अध्ययन घटनाविज्ञान,संवृतिशास्त्र, दृश्यप्रपंचशास्त्र
मूल्य का श्रम सिद्धान्त
मूल्य के श्रम सिद्धान्त के अनुसार किसी वस्तु या सेवा का आर्थिक मूल्य उस वस्तु या सेवा के उत्पादन
ज्ञानमीमांसा
ज्ञानमीमांसा, (अंग्रेजी-Epistemology) या ज्ञान का सिद्धांत, दर्शनशास्त्र कि एक प्रमुख शाखा है, जो ज्ञान का
मूल्यमीमांसा
मूल्यमीमांसा या मूल्य का सिद्धांत दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जिसके अंतर्गत मूल्य के स्वभाव
सांस्कृतिक मानवशास्त्र
सांस्कृतिक मानवशास्त्र अथवा सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान नृविज्ञान की वह शाखा है जिसमें, किसी संकृति
बामा (लेखिका)
बामा एक तमिल दलित नारीवादी, शिक्षिका और उपन्यासकार हैं। उनका आत्मकथात्मक उपन्यास कारुक्कु (1992) तमिलनाडु