सेतुबंध
सेतुबन्ध प्राकृत भाषा का एक महाकाव्य है। इसे 'रावणवहो' (रावणवधः) भी कहते हैं। इस महाकाव्य के रचयिता के रूप में प्रवरसेन द्वितीय तथा कालिदास दोनों का नाम लिया जाता है। 'सेतुबन्ध' के व्याख्याकार रामदास भूपति ने कालिदास को इसका रचयिता माना है। प्रवरसेन, वाकाटक राजवंश के वास्तविक संस्थापक थे। 'सेतुबन्ध' को कथा वाल्मीकीय रामायण से ग्रहण की गई है। व्यापक कथा-विस्तार की दृष्टि से आदि रामायण तथा सेतुबन्ध की कथा में मौलिक अन्तर नहीं है।
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