2009 Top Ten of Conflict for Health

शूकर इन्फ्लूएंजा
शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं में से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के
स्वलीनता
स्वलीनता (ऑटिज़्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे 'आत्मविमोह' और 'स्वपरायणता' भी कहते हैं। इससे प्रभावित
भोजन विषात्तन
भोजन-विषात्तन, खाने-पीने की वस्तुओं में रोग उत्पन्न करनेवाले सूक्ष्म जीवों जैसे जीवाणु एवं कवक आदि के अधिक संख्या में मौजूद होने, या फिर खाद्य वस्तुओं में रोगाणुओं द्वारा उत्पन्न आविष (टॉक्सिन) के
कर्कट रोग
हमारा शरीर अनेक प्रकार की सेल्स या कोशीकाओ से मिलकर बना है, ठिक उसी तरह जिस तरह अनेक प्रकार की ईंटों से मकान या इमारत बनाई जाती हैं। कोशिकाएं या सेल्स से शरीर के अंग भी बनते हैं, और यही अंग मिलकर एक स्वस्थ
आयुर्विज्ञान
आयुर्विज्ञान, मरीज (रोगी) की देखभाल, निदान संचालन, प्राग्ज्ञान, रोगों से उनका बचाव, उपचार, उनके रोग तथा अभिघात (ज़ख्म) का उपशमन एवं उनकी स्वास्थ्य की वृद्धि करने का विज्ञान तथा कला है। यह वह विज्ञान
शल्यचिकित्सा
अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के दो प्रमुख विभाग चले आ रहे हैं - कायचिकित्सा (Medicine) एवं शल्यचिकित्सा (Surgery)। इस आधार पर चिकित्सकों में भी दो परंपराएँ चलती हैं। एक कायचिकित्सक (Physician) और दूसरा शल्यचिकित्सक
चिकनगुनिया
चिकनगुनिया CHIKV विषाणु द्वारा होने वाला संक्रमण है जिसमे रोगी को तीव्र ज्वर एवं जोडों में भारी दर्द होता है। इस रोग का उग्र चरण तो मात्र २ से ५ दिन के लिये चलता है किंतु जोडों का दर्द कभी कभी महीनों
पादप रोगविज्ञान
पादप रोगविज्ञान या फायटोपैथोलोजी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के तीन शब्दों जैसे पादप, रोग व ज्ञान से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "पादप रोगों का ज्ञान (अध्ययन)"। जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत
एड्स
उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण (एड्स) मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (मा॰प्र॰अ॰स॰) (एच॰आई॰वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स
अकल दाढ़
अकल दाढ उन दाँतों के नाम हैं जो आखिर में निकलते हैं। अधिकतर लोगों को चार अकल दाढ होते हैं - मुँह के हर कोने में एक - ये ज्यादातर जवानी में निकलते हैं