2009 Top Ten of Conflict for Nature
- चार्ल्स डार्विन
- चार्ल्स डार्विन ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से 1831 से 1836 में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में
- पुष्प
- पुष्प या फुल्ल सपुष्पक पौधों में एक बहुत महत्वपूर्ण ध्यानाकर्षक रचना है। यह एक रूपान्तरित प्ररोह है जो लैंगिक जनन हेतु अभिप्रेत होता है। एक प्ररूपी पुष्प में विभिन्न प्रकार के विन्यास होते हैं
- साँप
- "साँप" या "सर्प", पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है। इसका शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह
- बाढ़
- भारत विश्व का दूसरा बाढ़ प्रभावित देश है।
बाढ़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई निश्चित भूक्षेत्र अस्थायी रूप से जलमग्न हो
जाता है और जन-जीवन प्रभावित हो जाता है।
बाँध टूटना, जलतरंगों की गति बढ़ना, मानसून
- ब्रह्माण्ड
- ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सियाँ, खगोलीय पिण्ड, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा
- सूनामी
- समुद्री तूफ़ान - को जापानी भाषा में सुनामी बोलते हैं, यानी बन्दरगाह के निकट की लहर। दरअसल ये बहुत लम्बी - यानी सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई वाली होती हैं, यानी कि लहरों के निचले हिस्सों के बीच का फ़ासला
- जीव विज्ञान
- जीव विज्ञान या जैविकी जीवन का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह व्यापक दायरे वाला एक प्राकृतिक विज्ञान है, परन्तु इसमें कई एकीकृत विषय हैं जो इसे एक एकल, सुसंगत क्षेत्र के रूप में एक साथ बांधते हैं
- शिरडी साईं बाबा
- साईंबाबा जिन्हें शिरडी साईंबाबा भी कहा जाता है, एक भारतीय गुरु, संत एवं फ़क़ीर के रूप में बहुमान्य हैं। उनके अनुयायी उन्हें सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी मानते हैं
- खगोल शास्त्र
- खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने
- द्रव्य की अविनाशिता का नियम
- यह नियम सर्वप्रथम फ़्रांसीसी रसायन शास्त्री आँत्वान लाव्वाज़्ये द्वारा 1789 में दिया गया है। द्रव्य की अविनाशिता का नियम अथवा द्रव्यमान संरक्षण का नियम के अनुसार किसी संवृत तंत्र का द्रव्यमान