2012 Top Ten of Conflict for Health

फुफ्फुसीय अन्त:शल्यता
फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता (PE) फेफड़े की मुख्य धमनी या इसके किसी भाग में किसी पदार्थ के द्वारा होने वाला एक रूकावट है जो शरीर के किसी अन्य भाग से रक्त प्रवाह (इंबोलिज्म) के माध्यम से आता है। यह आमतौर पर
मनोविदलता
मनोविदलता या विखंडित मानसिकता (Schizophrenia/स्कित्सोफ़्रीनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता
हस्तमैथुन
हस्तमैथुन शारीरिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित एक सामान्य प्रक्रिया का नाम है जिसे यौन सन्तुष्टि हेतु पुरुष हो या स्त्री, कभी न कभी सभी करते है। इसे केवल युवा ही नहीं बल्कि बुड्ढे-बुड्ढे लोग भी लिंगोत्थान
कर्णनासाकंठ विज्ञान
कर्णनासाकंठ विज्ञान कान (कर्ण), नाक (नासा) और गले (कण्ठ) से सम्बन्धित चिकित्साविज्ञान की एक शाखा है। यह शल्यचिकित्सा की एक विशिष्टता (स्पेशिआलिटी) है। इस विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों को कर्णनासाकंठ
आयुर्वेद
आयुर्वेद ( = आयुः + वेद ; शाब्दिक अर्थ : 'आयु का वेद' या 'दीर्घायु का विज्ञान'एक मुख्य और सबसे श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत, नेपाल और श्रीलंका में आयुर्वेद का
स्वास्थ्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने सन् 1948 में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है।1) दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना ही स्वास्थ्य है
ओएमआईएम
OMIM, एक परियोजना है। इसके अन्तरगत मनुष्य मे होने सभी रोगों की एक सुची तैयार करना है तथा उनको मेंण्डल के आनुवांशिकता से जोडना है। इससे जीनो तथा उनसे सम्बंधित रोगो के संबधों को जानने में मदद मिलेगी। भविष्य
चरक संहिता
चरकसंहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के दो
कर्कट रोग
हमारा शरीर अनेक प्रकार की सेल्स या कोशीकाओ से मिलकर बना है, ठिक उसी तरह जिस तरह अनेक प्रकार की ईंटों से मकान या इमारत बनाई जाती हैं। कोशिकाएं या सेल्स से शरीर के अंग भी बनते हैं, और यही अंग मिलकर एक स्वस्थ
सिरदर्द
शिरोवेदना चेहरा, शिर या गर्दन में पीड़ा का लक्षण है। यह अधकपारी, तनाव शिरोवेदना या क्लस्टर शिरोवेदना के रूप में हो सकता है। गम्भीर शिरोवेदना वाले लोगों में अवसाद का संकट बढ़ जाता है