2012 Top Ten of Polemic for Health

यकृत और पित्ताशय के रोग
यकृत शरीर में स्थित, सबसे बड़ी ग्रंथि है। इसका अधिकांश उदरीय कोटर के ऊपरी दाएँ भाग में स्थित है। इसका भार 1.2 से 1.4 किलोग्राम के लगभग होता है। यकृत दो प्रमुख पालियों (lobes), दाहिने और बाएँ, में विभक्त है
ग्रसनी शोथ
ग्रसनी शोथ (Pharyngitis) या ग्रसन्यार्ति व्याधि में ग्रसनिका, मृदुताल तथा तुंडिवादि की श्लेष्म कला में शोथ हो जाता है
मानव श्वेताणु प्रतिजन
मानव श्वेताणु प्रतिजन प्रणाली मनुष्यों में मुख्य ऊतक-संयोज्यता संकुल का नाम है। सुपर स्थल में मनुष्यों के प्रतिरक्षी तंत्र की कार्यप्रणाली से संबंधित जीन बड़ी संख्या में विद्यमान रहते हैं। यह
जरारोगविद्या
जरारोगविद्या चिकित्सा क्षेत्र की विशेषज्ञता का वह क्षेत्र है जो उन रोगों के अध्ययन पर केन्द्रित होता है जो अपेक्षाकृत अधिक आयु में होते हैं
श्वेत प्रदर
श्वेत प्रदर या सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हमेशा रोग का लक्षण नहीं होता
फुफ्फुसीय अन्त:शल्यता
फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता (PE) फेफड़े की मुख्य धमनी या इसके किसी भाग में किसी पदार्थ के द्वारा होने वाला एक रूकावट है जो शरीर के किसी अन्य भाग से रक्त प्रवाह (इंबोलिज्म) के माध्यम से आता है। यह आमतौर पर
रुमेटी हृद्रोग
आमवात ज्वर या रुमेटी हृद्रोग एक ऐसी अवस्था है, जिसमें हृदय के वाल्व एक बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती
चरक संहिता
चरकसंहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के दो
श्वसन तंत्र के रोग
श्वसन तंत्र के रोगों में फेफड़ों के रोग, श्वासनली के रोग सहित इस तंत्र के अन्य रोग शामिल हैं। श्वसन तंत्र के रोगों में स्वयंसीमित सर्दी-जुकाम से लेकर जीवाणुजन्य न्यूमोनिया जैसे घातक रोग हैं
कर्णनासाकंठ विज्ञान
कर्णनासाकंठ विज्ञान कान (कर्ण), नाक (नासा) और गले (कण्ठ) से सम्बन्धित चिकित्साविज्ञान की एक शाखा है। यह शल्यचिकित्सा की एक विशिष्टता (स्पेशिआलिटी) है। इस विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों को कर्णनासाकंठ